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Tag Archives: Chopra

पानी पर लिखे हे सारे उजाले हे इसी सुबह में,
कोई भी हँसी भाती नही जब तू हे किसी विरह में…

अनंतता में ढूंडता में एक छोटा सा पल,
जो हँसाए तुझे और दूर कर ये अन्धकार छल…
मेरी आशाये बस घूम रही हे अधर में,
कोई भी हंसी भाति नही जब तू हे किसी विरह में…

आकाश, जल, हवा और धरा खंड,
आँख, प्यास, साँस अब हर कदम हे बंद…
क्यों अँधेरा सा हो रहा हे सहर में,
कोई भी हंसी भाति नही जब तू हे किसी विरह में…

मनीष चौपडा_